
हिमालय दुनिया के सबसे बड़े और उच्चतम शिखरों में से एक है। हिमालय राष्ट्रों की सीमाओं को पार करता है और भारत, नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, चीन, और तिब्बत में स्थित है। हिमालय एक विविधता से भरा हुआ वनस्पति और जीव-जंतुओं का एक शानदार झरोखा है। इसमें विभिन्न प्रकार के पेड़, झाड़ियाँ, फूल, प्राणियों और पक्षियों की विविधता होती है। हिमालय की ऊँचाइयों पर विचरण करने पर व्यक्ति को न केवल प्राकृतिक सौन्दर्य का आनंद होता है, बल्कि वहां के प्राकृतिक संसाधनों की अद्वितीयता भी मनोबल को बढ़ाती है। यहाँ की जड़ियों से लेकर पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों और जनजातियों के जीवन तक एक अद्वितीय पृष्ठभूमि है। इस खोजभावना और संबंध की अगाधता के बीच एक रहस्यमय जीवन पदार्थ ने हिमालय को विशेष बनाया है।
आज हम बात कर रहे है ऐसी जड़ी की जिसके कई सारे फायदे है, यह जड़ी बूटी है हिमालयन वियाग्रा या यार्सागुम्बा या कीड़ा जड़ी।
हिमालयन वीयाग्रा या कीड़ा जड़ी :
जब हम इस शब्द “कीड़ा जड़ी” को सुनते हैं, तो हमारे मन में छवियाँ खड़ी हो जाती हैं – पर प्राचीन और संजीवनी सौंदर्य के साथ ही एक दुनिया भर की चिकित्सा परंपराओं की भी याद आती है। हिमालयी कीड़ा जड़ी, जिसे हम “हिमालयन वियाग्रा या यार्सागुम्बा” के नाम से भी जानते हैं, उन अद्वितीय जीवन प्राणियों की एक विशेष प्रकृति है जो हिमालय की मिट्टी में अपना जीवन यापन करते हैं।
कीड़ाजड़ी (वानस्पतिक नाम : कॉर्डिसेप्स साइनेंसिस, तिब्बती : यार्सा गुम्बा) एक आयुर्वेदिक जड़ि-बुटि है जो समुद्र तल से 3800 मीटर ऊपर नेपाल, तिब्बत, चीन और भारत के हिमालय पर पाया जाता है। यह एक मूल्यवान पारम्परिक औषधि है। कई लोग इसे हिमालयन गोल्ड और हिमालयन वियाग्रा के नाम से भी जानते है। यह जड़ी बूटी बहुत से औषधीय महत्वों से परिपुक है।
कीड़ा जड़ी उत्तराखंड के कई ऊंचे पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है। उत्तरकाशी, चमोली, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और चमोली की ऊंची हिमालयी चोटियों पर यह जड़ी मिलती है। मई से जुलाई के बीच जब पहाड़ों पर बर्फ पिघलती है तो लोग इसे निकालने ऊंची चोटियों पर जाते है। उत्तराखंड सरकार की ओर से अधिकृत 10-12 हजार स्थानीय लोग इसे निकालने यहाँ जाते है।
क्या है कीड़ा जड़ी ?

कीड़ा जड़ी एक तरह का जंगली मुशरूम है, जो एक खास कीड़े की झिल्लियों यानी कैटरपिलर्स को मारकर उसके ऊपर पनपता है। जिस कीड़े के कैटरपिलर्स पर यह उगता है, उसे हैपिलस फैब्रिकस कहते है। स्थानीय लोग इसे कीड़ाजड़ी कहते है, क्योंकि यह आधा कीड़ा और आधा जड़ी है।
जब यह कीट पौधे की जड़ में घुस जाता है तो उस पर अपनी बल तकनीक से हमला कर देता है। इसके परिणामस्वरूप पौधे की जड़ में सफेद, दूधिया कलियाँ उगती हैं, जिन्हें हिमालयन सेजब्रश के रूप में जाना जाता है। कीड़ा जड़ी निकालने का अधिकार और उसकी जान पहचान केवल वहीं के रहने वाले लोगों के पास होती है, वे लोग बनाते है की कीड़ा जड़ी भूरे रंग का होता है तथा यह 2 इंच लंबा होता है। इसका स्वाद मीठा होता है।
कीड़ा जड़ी के फायदे :
कीड़ा जड़ी सेहत के किए कई प्रकार से फायदेमंद है। इसका कोई भी नाकारात्मक प्रभाव नहीं है, इसका इस्तेमाल प्राकृतिक स्टेरॉयड की तरह किया जाता है। इसके फायदे निम्न प्रकार के है-
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इंटरनेशनल जर्नल ऑफ हर्बल मेडिसिन के अनुसार, यह कॉर्डिसेपिन, कॉर्डिसेपिन एसिड, डी-मैनिटोल, पॉलीसेकेराइड, विटामिन ए, विटामिन बी, जिंक, एसओडी, फैटी एसिड, न्यूक्लियोसाइड प्रोटीन और कॉपर जैसे खनिजों से भरपूर है।
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एंटी कैंसर एजेंट के रूप में काम करती है। इसके इथेनॉल एक्सट्रैक्ट, हाई साइटो टॉक्सिक पदार्थ होते जो कैंसर सेल्स को खत्म करने के साथ उन्हें बढ़ने से रोकते हैं।
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एक्सरसाइज परफॉर्मेंस को बढ़ाने के लिए दुनियाभर में इसका इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल, ये सप्लीमेंट की तरह काम करता है और मांसपेशियों की ताकत बढ़ा कर एक्सरसाइज परफॉर्मेंस को बढ़ाता है।
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स्टेमिना बढ़ाने में भी ये जड़ी बूटी कारगर है जो कि थकान और तनाव को दूर करके शरीर की एनर्जी बढ़ाती है।
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नपुंसकता के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
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इसका इस्तेमाल लिवर की बीमारियों, डाबिटीज और यहां तक कि कई संक्रामक बीमारियों के इलाज के लिए भी किया जाता है।
पर्यावरणीय और सांस्कृतिक महत्व
हिमालयी कीड़ा जड़ी का महत्व न केवल स्वास्थ्य में है, बल्कि यह पर्यावरणीय और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह ऐसे प्राकृतिक संसाधन की एक अद्वितीय मिसाल है जिसका संरक्षण करना मानव जीवन और पर्यावरण के लिए आवश्यक है। इसके अलावा, यह स्थानीय सांस्कृतिक परंपराओं में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भविष्य में कीड़ा जड़ी की संरक्षण की आवश्यकता
हिमालयी कीड़ा जड़ी की महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और आयुर्वेदिक महत्व के बावजूद, यह वन्यजीवों और प्राकृतिक संसाधनों की प्रसन्नता को भी प्रभावित करता है। लगभग आधी शताब्दी से अधिक कीड़ा जड़ी की मांग में वृद्धि होने से यह संवादगर जीव प्रजाति कुछ खतरों का सामना कर रही है, जैसे कि अवैध वनस्पति उत्पादन और अनैतिक खनन।
कीड़ा जड़ी के इन तमाम फायदे से चीन इस जड़ी-बूटी को भारत से चुराने की कोशिश करता है, ताकि दुनियाभर में इसे बेच सके और अपने सैनकों को जवान और सेहतमंद रख सके। साथ ही इस जड़ी की मांग भारत के साथ साथ बाकी देशों में भी है।
कीड़ा जड़ी की इतनी मांग होने की वजह से बीते 15 सालों में इसकी उपलब्धता में 30 फीसदी तक कमी आई है जिसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण (आईयूसीएन) ने इसे “रेड लिस्ट ” में डाल दिया है। रेड लिस्ट में उन्हीं चीजों को शामिल किया जाता है, जो गंभीर बीमारियों समेत बहुत ज्यादा शक्तिशाली औषधीय गुणों से युक्त होती हैं। विशेषज्ञ मानते है की इसकी गिरावट की वजह लगातार हो रहे दोहन, जलवायु परिवर्तन को मान रहे हैं।
हिमालयी कीड़ा जड़ी वन्यजीवों और मानवों के बीच एक रहस्यमय संबंध की कहानी है। यह न केवल आयुर्वेदिक चिकित्सा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि यह पर्यावरणीय संरक्षण और संस्कृति के भी आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हम सभी के लिए जरूरी है कि हम इसे अधिक संरक्षित बनाएं और इसे सतत समृद्धि की दिशा में ले जाएं, ताकि यह रहस्यमय जीवन पदार्थ हमारे भविष्य की सुरक्षा और समृद्धि में मदद कर सके।
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